मॉरिशस हिंदी साहित्य पर आधारित नई पुस्तकें
समीक्षक : डॉ. रमेश तिवारी
1- ‘मॉरिशस के लेखक रामदेव धुरंधर की जुबानी’ की सार्थकता
विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को डॉ. दीपक पाण्डेय की नवीनतम पुस्तक ‘मॉरिशस के लेखक रामदेव धुरंधर की जुबानी’ पुस्तक का लोकार्पण मुंबई के मुक्ति फाउंडेशन, अंधेरी वेस्ट के सभागार में हुआ। मॉरीशस में हिंदी भाषा और साहित्य की समृद्ध परंपरा है जो भारतीय मजदूरों के मॉरीशस पहुँचने के साथ रोपी गई थी। आज मॉरीशस में हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में लेखन हो रहा है और वैश्विक हिंदी जगत में इसकी विशिष्ट पहचान है। मॉरीशस के कथा-साहित्य में रामदेव धुरंधर अग्रणी पंक्ति के रचनाकार हैं। डॉ.पाण्डेय ने रामदेव धुरंधर के साथ उनकी रचनाधर्मिता पर आधारित जो संवाद किया, वह इस पुस्तक में शामिल है। धुरंधर जी ने दीपक पाण्डेय के प्रश्नों का पूरी सहृदयता और गंभीरता से उत्तर दिए हैं। इस संवाद से प्रख्यात लेखक धुरंधर जी की लेखनी के वैशिष्ट को पहचाना जा सकता है।
इस संवादों को पढ़ने के बाद मैं डॉ. पाण्डेय द्वारा भूमिका में लिखी बात से सहमति रखता हूँ कि धुरंधर जी का छ्ह खंडों में प्रकाशित उपन्यास ‘पथरीला सोना’ हिंदी साहित्य की अनुपम निधि है जिसकी कथा लगभग 3000 पृष्ठों की है और उसमें 600 के करीब पात्र हैं। धुरंधर जी ने अपनी इस विशालतम कृति के संबंध में जो व्यखात्मक उत्तर दिए हैं वे इस बात को प्रमाणित करते हैं कि यह उपन्यास भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के जीवन की छोटी-बड़ी घटनाओं का दिग्दर्शन कराते हुए मॉरीशस के इतिहास को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया दस्तावेज़ बन गया है। धुरंधर जी की स्वीकारोक्ति है कि ‘ मेरे अतीत ने मेरे लेखन का पिटारा मुझे थमा दिया । ऐसा न हुया होता तो मैं आज कहने की स्थिति में न होता कि मेरे लेखन का सफर मेरे अतीत से शुरू होकर मेरे वर्तमान में पहुंचा है । उम्र के हिसाब से मेरा जीवन जिस पड़ाव पर है उसमें मेरे लेखन में विशेष रूप से मेरा देश हावी रहा है। मैंने उसी के चित्रण में अपने को तपाया है ।’ वास्तव में इस पुस्तक का संवाद जहाँ लेखक के साहित्यकर्म को समझने का अवसर देता है वहीं लेखक के साहित्य के माध्यम से मॉरीशस और भारत-भारतीयता के संबंधों की गहराई में उतरने का द्वार भी खोलता है। डॉ. दीपक का यह प्रयास सराहनीय है और मॉरिशस हिंदी साहित्य के बारे में जानने वालों की इच्छा को अवश्य पूरित करेगा ।
इस पुस्तक में हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार और व्यंग्य विधा को समर्पित विद्वान डॉ. प्रेम जनमेजय का प्राक्कथन पुस्तक की सार्थकता को रेखांकित करता है।
समीक्ष्य कृति : मॉरीशस के लेखक रामदेव धुरंधर की जुबानी लेखक : डॉ. दीपक कुमार पांडेय प्रकाशक : प्रलेक प्रकाशन, मुंबई, पृष्ठ -152, मूल्य – हार्डबांड- रु400 /- पेपरबैक रु250/- |
2- ‘नींव से निर्माण तक’ की सतत प्रक्रिया से साक्षात्कार
नींव से निर्माण तक’ पुस्तक डॉ. नूतन पाण्डेय की अभिनव कृति है। इस पुस्तक के बहाने डॉ. पाण्डेय ने मॉरिशस के लगभग सभी महत्त्वपूर्ण साहित्यकारों से बातचीत करते हुए उनके जीवन और साहित्य कर्म के साथ-साथ उनके अन्य विषयों पर केन्द्रित कुछ विचारों को भी इस पुस्तक में समाहित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। लेखिका ने भूमिका में मॉरिशस के इतिहास, साहित्य और लेखन सभी पर विस्तार से लिखा है, जो उनकी अध्ययनशीलता का प्रमाण है। इस दृष्टि से यह प्रयास सार्थक प्रतीत होता है।
नवीनतम सर्वेक्षणों, गिरमिटिया के संक्षिप्त परिचय, 1834-1924 तक के 90 वर्षों के कालखंड में लगभग साढ़े चार लाख भारतीय मजदूरों की व्यथा-कथा, सारा जहाज, 39 यात्रियों के दल, पोर्टलुईस के इमीग्रेशनस्क्वायर, कुली घाट (अब आप्रवासी घाट) के प्रसंग को जिस रोचक अंदाज में लेखिका ने पाठकों के समक्ष रखा है, वह अद्भुत है। इसमें मजदूरों का जीवन-संघर्ष है तो जीवन-संघर्षों के पार निकलने की उनकी अदम्य जिजीविषा भी। “भारतवंशियों के प्रवासन की इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को समेकित रूप से विश्लेषित करने पर कहा जा सकता है कि भारतीय मूल के ये लोग न तो विश्व विजय करने निकले थे, न जबरन धर्म-प्रचार के लिए और न ही अपनी भाषा और संस्कृति के किसी अन्य पर आरोपण के लिए। लेकिन यह भी आश्चर्यजनक और सुखद संयोग से कम नहीं है कि जहां-जहां ये गए वहाँ-वहाँ अत्यंत सहज और स्वाभाविक ढंग से अपनी भाषा और संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन करते गए।”
इस कृति में मॉरिशस के कुल 21 प्रमुख साहित्यकारों के साक्षात्कारों में पहला साक्षात्कार मॉरिशस के प्रख्यात साहित्यकार अभिमन्यु अनत का है। इस पुस्तक में सम्मिलित मॉरीशस के प्रतिष्ठित साहित्यकारों को अकारादिक्रम में अभिमन्यु अनत, इंद्रदेव भोला, कल्पना लालजी, प्रह्लाद रामशरण, ब्रजलालधनपत, राज हीरामन, रामदेव धुरंधर, विनोद बाला अरुण, सरिता बुद्धु, हनुमान दूबे गिरधारी, हेमराज सुंदर आदि साहित्यकारों के साक्षात्कारों से पाठकों को निश्चय ही अपनी दृष्टि समृद्ध करने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर यह कृति डॉ. नूतन पांडेय के श्रम-संवेदना-समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
समीक्ष्य कृति : मॉरिशस नींव से निर्माण तक (मॉरिशस की साहित्यिक सांस्कृतिक परंपरा से संवाद) लेखिका : डॉ. नूतन पांडेय प्रकाशक : स्टार पब्लिकेशन्स प्रा.लि., 4/5-बी, आसफ अली रोड, नई दिल्ली –110002 पृष्ठ-397, मूल्य – रु 500/- |
3- मॉरीशस हिंदी नाट्य साहित्य में बखोरी जी का योगदान
मॉरीशस में हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में साहित्य का सृजन हो रहा है । मॉरीशस के साहित्य का हिंदी-जगत में स्वागत भी हो रहा है। इसी समृद्ध साहित्यिक परंपरा में सोमदत्त बखोरी की रचनाधर्मिता भी महत्वपूर्ण है। बखोरी जी ने ‘मुझे कुछ कहना है’, ‘बीच में बहती धारा’, ’सांप भी सपेरा भी’, ’नशे की खोज’ काव्य संग्रह, यात्रा वृतांत- ‘गंगा की पुकार’, नाटक- ‘सीता स्वयंवर’, ‘पांडव वनवास’ एवं अनेक रेडियो नाटक, एकांकी व रुपक लिखे हैं। उनका नाट्य साहित्य अप्रकाशित रह गया है ।
डॉ. नूतन पाण्डेय ने मॉरीशस प्रवास के दौरान उनके दस नाटकों की पांडुलिपियों को खोजकर अपेक्षित संशोधन के साथ उनका संकलन तैयार किया है जो ‘मॉरीशसीय हिंदी नाट्य साहित्य और सोमदत्त बखोरी’ नाम से प्रकाशित हुआ है। इसमें लेखिका ने मॉरीशसीय हिंदी नाट्य साहित्य की बहती धारा के अंतर्गत मॉरीशस में लिखे गए नाटकों पर शोधपरक जानकारी दी है और सोमदत्त बखोरी के नाट्यकर्म पर विस्तार से चर्चा की है और बखोरी जी के नाटकों – बहू, सीता स्वयंवर, बहाना, घर और घरनी, निराश प्रेमी, वसंत बहार, कुर्बानी की रह पर, बिसुनी की सगाई, गुमान की गोली, जंग में रंग, गांधी बलिदान का संपादन किया है। यह साहित्य की सच्ची सेवा है जो अप्रकाशित साहित्य हिंदी संसार को मिला। मॉरीशस हिंदी साहित्य में रुचि लेने वालों और प्रवासी साहित्य पर अनुसंधान करने वालों के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी और संदर्भ के रूप में सहायक सिद्ध होगी।
समीक्ष्य कृति : मॉरीशसीय हिंदी नाट्य हिंदी नाट्य साहित्य और सोमदत्त बखोरी लेखिका : डॉ. नूतन पांडेय प्रकाशक : स्टार पब्लिकेशन्स प्रा.लि., 4/5-बी,आसफ अली रोड, नई दिल्ली –110002 पृष्ठ -142, मूल्य – रु 200/- |
4- मॉरीशस लेखक : रामदेव धुरंधर साक्षात्कार के आईने में
यह पुस्तक मॉरीशस के प्रख्यात लेखक रामदेव धुरंधर की साहित्यिक रचनाधर्मिता पर आधारित है। इसमें डॉ. दीपक पाण्डेय ने रामदेव धुरंधर के सात साक्षात्कारों को संपादित किया है। इन साक्षात्कारों में शामिल हैं –
डॉ. नूतन पाण्डेय- ‘शब्द ब्रम्ह हैं, जिन्हें श्रम से साधा जा सकता है’
डॉ. सुधा ओम ढींगरा- ‘भारत में आलोचना को लेकर बहुत खेमेबाजी चलती है’
डॉ. जयप्रकाश कर्दम – ‘लेखक और आलोचक नदी के दो पाट हैं’
डॉ. दीपक पाण्डेय – ‘रामदेव धुरंधर के उपन्यासों के शिल्प कैमरे में कैद चित्र सदृश्य’
गोवर्धन यादव- ‘पूर्वजों की धरोहर संजोये रखता हूँ’
सुश्री शालेहा परवीन- ‘मेरा अंतस मेरे कथा-साहित्य में अभिव्यक्त हुआ है’
डॉ. कुसुमलता सिंह – ‘मानवीय ऊर्जा से भरी रचनाएं’
सभी साक्षात्कारकर्ताओं ने धुरंधर जी से उनकी साहित्य की आधारभूमि की गंभीरता से पड़ताल की है और धुरंधर जी ने बहुत ही गंभीरता और आत्मीयता से उत्तर दिए हैं। निश्चित ही ये संवाद मॉरीशस के हिंदी साहित्य के वैशिष्ट्य को समझने और परखने में सहायक होंगे। रामदेव धुरंधर के साहित्य पर आलोचनात्मक ग्रंथों के अभाव को यह पुस्तक कुछ हद तक दूर करने में बहुत उपयोगी साबित होगी। डॉ. दीपक ने भूमिका में ‘मॉरीशस का हिंदी साहित्य और रामदेव धुरंधर’ पर धुरंधर जी के साहित्यिक अवदान पर बहुत ही सारगर्भित एवं विश्लेषणात्मक जानकारी दी है। पुस्तक के लिए शुभाकांक्षा संदेश में डॉ. जयप्रकाश कर्दम ने रामदेव धुरंधर के साहित्यिक वैशिष्ट्य पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा है-“रामदेव धुरंधर ऐसे ही सजग रचनाकार हैं जो अपनी रचनाओं में मनुष्यता बोध की अभिव्यक्ति के साथ पाठकों के समक्ष उपस्थित होते हैं। कथा-वस्तु या कथानक का अपना महत्व होता है किन्तु उससे अधिक महत्वपूर्ण होती है रचनाकार की दृष्टि कि वह कथानक को किस रूप में ढालता है, अपने समय की सच्चाईयों, समस्याओं, चुनौतियों को किस तरह देखता है और उससे किस प्रकार जूझता है कि अंधेरे में भटकते समाज को रास्ता दिखाने के लिए मशाल का काम कर सके। यह कौशल ही किसी रचनाकार को बड़ा बनाता है। रामदेव धुरंधर इस कौशल से संपन्न लेखक हैं। ‘पथरीला सोना’ उपन्यास की गंभीर विषय-वस्तु से स्पष्ट हो जाता है कि कैसे वे दो सौ सालपहले भारत से बंधुआ मजदूर के रूप में मॉरीशस गए भारतीयों के शोषण और संघर्ष की कथा कहते हुए उनके जीवन की प्रतिकूलताओं और प्रश्नों को वर्तमान के साथ जोड़कर प्रस्तुत करते हैं। मुझे नहीं लगता ‘चंद्रकांता संतति’ के अलावा ‘पथरीला सोना’ जितना वृहद कोई अन्य लिखित उपन्यास हिंदी साहित्य में उपलब्ध है। यह अकेला उपन्यास रामदेव धुरंधर को हिंदी का महान लेखक सिद्ध करने में सक्षम है।”
मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक जहाँ मॉरीशस के महान रचनाकार रामदेव धुरंधर साहित्यधर्मिता को समझने में सहायक होगी वहीं मॉरीशस के हिंदी साहित्य में रुचि रखने वालों के लिए उपयोगी होगी। उत्कृष्ट कार्य के लिए डॉ. दीपक पाण्डेय और प्रकाशक को बहुत बधाई और साधुवाद ।
समीक्ष्य कृति : मॉरीशस लेखक : रामदेव धुरंधर साक्षात्कार के आईने में संपादक : डॉ. दीपक पाण्डेय प्रकाशक : स्वराज प्रकाशन, नई दिल्ली –110002 पृष्ठ -152, मूल्य – रु 550/- |
संपर्क : डॉ. रमेश तिवारी, नई दिल्ली मो. 9868722444, ईमेल : vyangyarth@gmail.com |
गोवर्धन यादव
आत्मीय बधाई श्रीमन।
गोवर्धन यादव
9424356400